Rajesh Asthana


बाहर तकरार देखिये

कैसा अजीब रिश्ता, व्यवहार देखिये
लड़ते हैं, झगड़ते हैं मगर प्यार देखिये

रहते नहीं जुदा ये कभी बात मजे की
दिल में है प्यार, बाहर तकरार देखिये

बाहर में कहते शौहर इक शेर है वही
घर घूसते ही लगते हैं सियार देखिये

समझौता हुआ ऐसा आपस में काम का
बर्तन भी साफ करने को लाचार देखिये

तफरीह नहीं होतीं भारत में शादियाँ
इक दूजे पे है दोनों का अधिकार देखिये

बनते हैं पुल बच्चे मिल जाते किनारे
जीने के सिलसिले का संसार देखिये

मिलती है नयी ताजगी काँटों की सेज पर
हर हाल में सुमन है स्वीकार देखिये

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